बहुत से पर्यटक पुरी आते हैं पर चिल्का नहीं आकर यहाँ के रोमांच से वंचित रह जाते हैं। मेरा मन तो पुरी जाने से पहले ही चिल्का की गहराई में डुबकी लगा रहा था। पुरी के मंदिरों में घूमने के बाद हमारा अगला पड़ाव था झीलो की रानी चिल्का में।
जैसे जैसे आगे बढ़ते गए नए नए दृश्य आते गए।अचानक हवा में पक्षियों का एक समूह उड़ान भरता दिखाई पड़ा क्या मनमोहक छटा थी!
इधर उधर कुछ टापू भी थे जिनमे अनेक प्रकार के वन और जीव स्वच्छंद विचरण कर रहे थे। अचानक नौका चालक ने हमें पानी में क्रीड़ा करते हुए डॉल्फिनों की ओर इशारा किया।
अब हमारा वापस जाने का वक़्त हो चला था। धीरे धीरे हम उस अद्भुत मुहाने से विदा हो गए। वापसी में हमें एक मंदिर भी दिखाई पड़ा पर हम वहां तक नहीं गए। अब हम आधे घंटे बाद किनारे आ गए और अपने छोटे से मस्तिष्क में इस विशाल जलाशय की यादो को समेट गए।
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