यूँ तो गोवा एक बहुत ही मौज मस्ती वाला जगह है, फिर भी जहाँ ज्यादा मस्ती होती है, वहां कुछ न कुछ काण्ड होने की सम्भावना भी बढ़ जाती है। गोवा में भी हमारे साथ ऐसा ही कुछ हुआ, जिसने पहले ही दिन सारा मजा ख़राब कर दिया। इसी सन्दर्भ में आज आपसे मैं गोवा के कुछ कड़वे अनुभव साझा करना चाहूंगा। पहली बार गोवा यात्रा के दौरान पर्याप्त जानकारी के अभाव में एक ऐसी घटना घटी जिससे हमारे निर्वाध यात्रा में थोड़ी किरकिरी पैदा हुई।
गोवा के खूबसूरत तटों को देखने का सपना पूरा हो रहा था, और हमारे कदम सबसे पहले वागातोर तट पहुचेमेरे मित्र एवं सहयात्री अरुण को तट पर कुछ लोगों का झुण्ड अचानक आकर्षित कर गया। वहां पर कुछ लोग
जुआ खेल रहे थे।
अरुण को पता नहीं क्यों यह खेल भा गया। उसने मुझे कहा की मैं इसमें अपना हाथ आजमाना चाहता हूँ। मैंने आश्चर्य से उसकी और देखा और कहा की ये सब बेकार की चीजे हैं इनमे पड़ना ठीक नहीं होगा। एक अनजान शहर में अनजान लोगो के बीच जुआ खेलना मुझे कतई पसंद नहीं था। लेकिन फिर भी वो खेलने चला गया। मैं उसे छोड़ कर जा भी नहीं सकता था , बस उसे टुकुर टुकुर देखता रहा। मैं भी जुआड़ी लोगो के बीच खड़ा हो गया।
अब अरुण ने अपना पहला दांव फेका। उन ठगों ने येन-केन-प्रकारेन पहली बार में ही दो हजार रूपये जीतवा दिए। अब अरुण की ख़ुशी का कोई ठिकाना न था। लेकिन एक बार जो यहाँ आकर जीतता है, वो भला इतनी आसानी से कहाँ छुटकारा पाता है? और जुवे का खेल चलाने वाले भी लोगों को आसानी से जाने नही देते! किसी भी तरह से अरुण को भी जीत कर जाने नहीं देना चाहते थे। इसीलिए उनलोगो ने उसे दुबारा हाथ आजमाने को कहा। अनमने ढंग से मैं भी कही न कही उसके साथ था।
जैसे ही उसने दूसरा दांव खेला … ये क्या ? जुवाडियों का असली रूप अब सामने आया और उनलोगों ने वही किया जिसका मुझे डर था! जुवे के दलदल में फँसकर हमलोग अब चार हजार रूपये गवाँ चुके थे। एक पल के लिए मुझे ऐसा लगा की अब गोवा यही ख़त्म सा हो गया, सोचा की तुरंत यहाँ से वापस घर ही चले जाय। जुवाड़ी यही तो चाहते थे। एक अजनबी जगह में ऐसी घटना हुई कि हमलोगो के पास वहाँ से निकलने के अलावा कोई चारा न था। अब हम इसी कड़वे अनुभव को लेकर अन्य समुद्र तट की और रवाना हो गए।
इस घटना का आशय यही है की चाहे कोई जगह कितनी भी अच्छी क्यों न हो, कुछ न कुछ परेशान करने वाले तत्व हमेशा ही हाजिर होते हैं, जिनसे दूर रहने में ही भलाई है।
इस हिंदी यात्रा ब्लॉग की ताजा-तरीन नियमित पोस्ट के लिए फेसबुक के TRAVEL WITH RD पेज को अवश्य लाइक करें या ट्विटर पर RD Prajapati फॉलो करें।
इन्हे भी पढ़ें।
मुर्खता ही कहा जा सकता है घुमक्कड़ी खे दौरान परदेश में ऐसे कार्यों को। इन सबसे हमेशा बचना चाहिए।
ReplyDeleteमूर्खता तो है ही।
ReplyDelete