बात अगर हसीं वादियों की की जाय तो सिर्फ हिमालयी चोटियाँ ही इनमें शुमार नहीं हैं, बल्कि दक्षिण भारतीय चोटियों का सौंदर्य भी बिल्कुल ही अनूठा है। तमिलनाडु के नीलगिरि पर्वतश्रेणी के ऊटी एवं कन्नूर भी प्रकृति के ऐसे ही सुंदरता का बखान करते हैं।
कोयंबटूर से 80 किमी की यात्रा कर ज्यों ही हमने समुद्रतल से 7000 फिट की ऊंचाई पर उदगमंडलम या ऊटकमण्ड या ऊटी की फ़िजा में साँस लेना शुरू किया, तन-मन में एक ताजगी सी कौंध गयी। जून के महीने में भी शाम को यहाँ जबरदस्त ठण्ड थी। रात को होटल से बाहर जब हम चले तो जून में भी पूस की रात का एहसास हो चला।
अगली सुबह वादियों की सैर में पहला पड़ाव था ऊटी झील। यहाँ का मुख्य आकर्षण और काफी भीड़ भाड़ वाली जगह। परिसर में दाखिल होने के लिए लंबी लाइन और अंदर पर्यटक नौका में जल भ्रमण करते हुए नजर आ रहे थे। सालों भर जाड़े की धुप का मजा लेने के लिए एक बार जरूर यहाँ पधारिये।
ऊटी के बोटैनिकल गार्डन के सौंदर्य का वर्णन तो शब्दों से ही परे की चीज है। 1500 एकड़ से भी ज्यादा भूभाग में फैले इस धरती का सिर्फ शुरुआत ही देख पाये।
ऊटी दर्शन का सबसे अंतिम पड़ाव था दोदाबेटा की चोटी यानि दक्षिण भारत की सबसे ऊँची और नीलगिरि की सबसे ऊँची चोटी 8650 फ़ीट की ऊंचाई पर। ऊपर दिखाए चित्र में जो आप टावर देख रहे हैं, वहीं से पुरे ऊटी एवं कन्नूर का एक ही नजर में जायज़ा ले सकते हैं।
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दोदाबेटा: दक्षिण भारत की दूसरी सबसे ऊँची छोटी जहाँ से दिखता है पूरा ऊटी और कन्नूर का नज़ारा |
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चल छैयां छैयां छैयां ..... (Nilgiri Mountain Railway: Ooty to Coonoor)
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