नेपाल यानि हिमालय की गोद में बसा हुआ एक छोटा सा देश- जिसे हम गौतम बुद्ध की जन्मभूमि कहें या पिछले वर्ष आये विनाशकारी भूकंप का शिकार- हमेशा से ही भारत के सबसे निकटतम पडोसी देशों में शुमार रहा है। यही कारण है की दोनों देशों की ढेर सारी सभ्यता-संस्कृति भी बिलकुल एक जैसी रही हैं। यह हमारा सौभाग्य ही था की उस भयावह भूकंप से ठीक पहले ही नेपाल जाने की आकस्मिक योजना बन पड़ी और हमारी नेपाल यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न हो गयी। दिलचस्प बात यह है की जमशेदपुर से काठमांडू तक एक हजार किलोमीटर की सारी यात्रा सिर्फ बस द्वारा ही तीन चरणों में की गयी, वो भी जून 2014 के भीषण गर्मी में पहले हम पांच दोस्तों को पटना जाना था, जहाँ एक रात काठमांडू के नज़ारे- पशुपतिनाथ, बौद्धनाथ, भक्तपुर दरबार और नागरकोट- नेपाल भाग -2 (Kathmandu- Nepal Part-II) काठमांडू से पोखरा- सारंगकोट, सेती नदी, गुप्तेश्वर गुफा और फेवा झील (Pokhara- Nepal Part-III) नेपाल से वापसी- बनारस में कुछ लम्हें (Banaras- Nepal IV) जमशेदपुर से नेपाल (काठमांडू) तक की बस यात्रा (Jamshedpur to Nepal By Bus) दोस्त की शादी में भी शरीक होना था। तीन जून 2
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