ठण्ड का मौसम, सुबह की चमकती धुप, हलकी-हलकी चलती सर्द हवाएं, सर्पीले रास्ते, घाटियाँ, ऊँची-नीची पहाड़ियां, वक्रनुमा पानी का किनारा - इन शब्दों का प्रयोग मैं किसी हिमालयी क्षेत्र की ओर इशारा करने के लिए नहीं कर रहा, बल्कि अपने ही राज्य झारखण्ड के बारे बता रहा हूँ। सच तो यह है की दूर का ढोल सुहावन होने के कारण अक्सर हम नजदीकी नजारों को कोई महत्व नहीं देते हैं, और फलस्वरूप आस पास के बारे ज्यादा नहीं जान पाते। झारखण्ड में राँची से उत्तर की ओर 35 किलोमीटर दूर की एक घाटी इसी प्रकार के अछूते प्राकृतिक सौंदर्य का शानदार उदाहरण है। पतरातू घाटी - एक नजर जमशेदपुर से राँची होते हुए 165 किलोमीटर दूर पतरातू घाटी की सैर करने के लिए पहले तो मैंने अपनी बाइक से ही जाने का निश्चय किया था, लेकिन बाद में इस कार्यक्रम को जरा पारिवारिक विस्तार देकर एक रात रांची में ही गुजार लेना ठीक समझा। लम्बे अरसे बाद राँची की ओर जाने का कार्यक्रम बन रहा था, जमशेदपुर से शाम की बस पकड़ कर 130 किलोमीटर दूर राँची आ गए। समुद्र तल से जमशेदपुर सिर्फ 450 फीट की ऊंचाई पर है, जबकि राँची 2100 फीट पर, इसीलिए दिसम्बर के आखिर
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