झारखण्ड के रमणीय स्थलों की श्रृंखला में पिछली चर्चा हिरनी जलप्रपात की हुई थी।झारखण्ड का सौंदर्य चर्चा करने पर जलप्रपातों की चर्चा स्वतः हो जाती है और जलप्रपातों की चर्चा करने पर राँची के आस पास के इलाकों का चर्चा करना अनिवार्य हो जाता है। इसी सन्दर्भ में आज राँची से लगभग चालीस किलोमीटर दक्षिण की ओर स्थित दशम जलप्रपात का जिक्र करना आवश्यक हो गया है।
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 33 या NH-33 पर रांची से तीस किलोमीटर दक्षिण ओर जमशेदपुर से सौ किलोमीटर उत्तर की और एक गाँव है -तैमारा।
चट्टानों पर फिसलने से होने वाले दुर्घटनाओं को रोकने के लिए तारों के घेरे भी लगाये गए हैं। फिर भी इन चट्टानों पर बड़ी सावधानी से ही चलना पड़ता है।
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 33 या NH-33 पर रांची से तीस किलोमीटर दक्षिण ओर जमशेदपुर से सौ किलोमीटर उत्तर की और एक गाँव है -तैमारा।
- चांडिल बाँध - जमशेदपुर के आस पास के नज़ारे (Chandil Dam, Jharkhand)
- पारसनाथ: झारखण्ड की सबसे ऊँची चोटी (Parasnath Hills, Jharkhand)
- एक सफर नदी की धाराओं संग (River Rafting In The Swarnarekha River, Jamshedpur)
- कुछ लम्हें झारखण्ड की पुकारती वादियों में भी (Dalma Hills, Jamshedpur)
- झारखण्ड की एक अनोखी घाटी ( Patratu Valley, Ranchi)
- चाईबासा का लुपुंगहुटू: पेड़ की जड़ों से निकलती गर्म जलधारा (Lupunghutu, Chaibasa: Where Water Flows From Tree-Root)
- हिरनी जलप्रपात और सारंडा के जंगलों में रमणीय झारखण्ड (Hirni Falls, Jharkhand)
- दशम जलप्रपात: झारखण्ड का एक सौंदर्य (Dassam Falls, Jharkhand)
- क्या था विश्वयुद्ध-II के साथ झारखण्ड का सम्बन्ध? (Jharkhand In World War II)
- जमशेदपुर में बाढ़ का एक अनोखा नमूना (Unforeseen Flood in Jamshedpur)
- नेतरहाट: छोटानागपुर की रानी (Netarhat: The Queen of Chhotanagpur)
- किरीबुरू: झारखण्ड में जहाँ स्वर्ग है बसता (Kiriburu: A Place Where Heaven Exists)
- हुंडरू जलप्रपात: झारखण्ड का गौरव (Hundru Waterfalls: The Pride of Jharkhand)
फिर तैमारा से दस किलोमीटर पश्चिम की ओर स्थित है- दशम जलप्रपात। यहाँ से मात्र 25 किलोमीटर दूर बुंडू सबसे नजदीकी अनुमंडल है। पहले यह इलाका रांची जिले में ही था लेकिन वर्त्तमान में यह खूंटी जिले में आ गया है। मुख्य सड़क से अंदर की ओर जाते ही कुछ ग्रामीण बस्तियां मिलती हैं, फिर घने जंगल के बीच से गुजरती सड़क सीधे दशम फॉल ले जाती है। अगर जमशेदपुर से चला जाय तो इस प्रपात से 38 किलोमीटर पहले ही तमाड़ नामक स्थान पर प्रसिद्द दिउड़ी मंदिर है।
स्वर्णरेखा की सहायक नदी कांची जब दक्षिणी छोटानागपुर पठार या राँची के पठारी हिस्से से बहती हुई 144 फ़ीट की ऊंचाई से गिरती है तब इस दशम जलप्रपात का निर्माण होता है। झारखण्ड के पहाड़ों की लीला अगर देखनी हो तो यह जगह सर्वोत्तम है जो पहली नजर में सचमुच हिमालय की घाटियों जैसी ही लगती है। चारों तरफ जंगल ही जंगल हैं और झरने की घाटी काफी गहरी है। बरसात के समय तो यह काफी भयावह रूप धारण कर लेती है।
बोलचाल में इसे दशम फाल्स ही कहा जाता है। दरअसल दशम शब्द की उत्पत्ति स्थानीय मुंडारी शब्द दा सोंग से हुई है। मुंडारी भाषा में दा का मतलब होता है पानी और सोंग का मतलब है उड़ेलना। यानि पानी उड़ेलना। प्रकृति द्वारा पानी उड़ेलने की घटना होने के कारण ही स्थानीय लोगों ने ऐसा नाम रखा होगा, लेकिन आज सब इसे दा सोंग के जगह दशम ही कहते हैं।
दशम जलप्रपात का पानी लगभग साफ़ ही रहता है। पिकनिक के समय काफी भीड़ रहती है, हर जगह सिर्फ झारखण्ड के स्थानीय गाने की बजते हैं। बरसाती नदी होने के कारण गर्मियों में कभी कभी यह प्रपात सुख भी जाता है। ऊंचाई से गिरती धारा के नीचे एक छोटा तालाब सा बन गया है जिसमें लोग जी भरकर नहाते है। लेकिन यह काफी खतरनाक भी है और दुर्घटनाओं के कारण अनेक मौतें भी हुई हैं। हाल ही में इसे विकसित कर नीचे तक जाने के लिए बड़ी-बड़ी सीढ़ियाँ बनायीं गयी हैं।
चट्टानों पर फिसलने से होने वाले दुर्घटनाओं को रोकने के लिए तारों के घेरे भी लगाये गए हैं। फिर भी इन चट्टानों पर बड़ी सावधानी से ही चलना पड़ता है।
चूँकि इस जलप्रपात से सबसे नजदीकी शहर रांची ही है, इसीलिए अगर आप अन्य राज्यों से आना चाहें तो पहले रांची ही आना अच्छा रहेगा। फिर वहां से बस द्वारा जमशेदपुर जाने वाले मार्ग NH-33 पर आपको बढ़ना होगा। फिर NH-33 से कोई निजी वाहन ही वहां तक जा पायेगी क्योंकि सार्वजनिक परिवहन वहां उपलब्ध नहीं है। पहाड़ों के बीच वो सुरमई स्थल आपका इंतज़ार कर रहा है।
अब एक नजर तस्वीरों पर-
फिलहाल इस जलप्रपात का प्रबंधन स्थानीय समिति के लोग ही कर रहे हैं। इसे अभी और विकसित कर राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने की जरुरत है।
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- चांडिल बाँध - जमशेदपुर के आस पास के नज़ारे (Chandil Dam, Jharkhand)
- पारसनाथ: झारखण्ड की सबसे ऊँची चोटी (Parasnath Hills, Jharkhand)
- एक सफर नदी की धाराओं संग (River Rafting In The Swarnarekha River, Jamshedpur)
- कुछ लम्हें झारखण्ड की पुकारती वादियों में भी (Dalma Hills, Jamshedpur)
- झारखण्ड की एक अनोखी घाटी ( Patratu Valley, Ranchi)
- चाईबासा का लुपुंगहुटू: पेड़ की जड़ों से निकलती गर्म जलधारा (Lupunghutu, Chaibasa: Where Water Flows From Tree-Root)
- हिरनी जलप्रपात और सारंडा के जंगलों में रमणीय झारखण्ड (Hirni Falls, Jharkhand)
- दशम जलप्रपात: झारखण्ड का एक सौंदर्य (Dassam Falls, Jharkhand)
- क्या था विश्वयुद्ध-II के साथ झारखण्ड का सम्बन्ध? (Jharkhand In World War II)
- जमशेदपुर में बाढ़ का एक अनोखा नमूना (Unforeseen Flood in Jamshedpur)
- नेतरहाट: छोटानागपुर की रानी (Netarhat: The Queen of Chhotanagpur)
- हुंडरू जलप्रपात: झारखण्ड का गौरव (Hundru Waterfalls: The Pride of Jharkhand)
झारखंड में भी काफी नज़ारे है मैं सिर्फ लोह नगरी समझता था
ReplyDeleteजी हाँ झारखण्ड आज भी गुमनामी के अँधेरे में जी रहा है, इसीलिए लोग बहुत कम जानते हैं .
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ReplyDeleteराम भाई
ReplyDeleteनयी नयी जगह की जानकारी मिल रही है।
यहाँ क्या साल भर ही यु पानी बहता रहता है ।
धन्यवाद किशन जी. गर्मियों में दो-तीन महीने सुख जाता है, सबसे अच्छा मौसम बरसात का है जब सबसे ज्यादा पानी बहता है .
Deleteराम भाई
ReplyDeleteनयी नयी जगह की जानकारी मिल रही है।
यहाँ क्या साल भर ही यु पानी बहता रहता है ।
धन्यवाद किशन जी .गर्मियों में दो-तीन महीने सूख जाता है, सबसे अच्चा मौसम बरसात का है जब सबसे ज्यादा पानी बहता है .
Deleteवाह भाई बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteधन्यवाद.
Deleteआर डी जी.... रांची के झरनों के बारे में सुन रखा है, कहते है झरनों की नगरी रांची...|
ReplyDeleteआपने आज दशम जलप्रपात से परिचय करवाया उसके लिए धन्यवाद....
चित्र अच्छे है .... पर झरने में पानी की मात्रा बहुत कम नजर आ रही है
दरअसल झारखण्ड की नदियाँ बरसाती हैं, इसीलिए फ़रवरी के महीने में पानी कम था।
Deleteदरअसल झारखण्ड की नदियाँ बरसाती हैं, इसीलिए फ़रवरी के महीने में पानी कम था।
Deleteआरडी भाई दशम जलप्रपात का कभी नाम भी नहीं सुना था अब से पहले ! शानदार विवरण ! दशम का नामकरण रोचक लगा !
ReplyDeleteधन्यवाद् योगी जी
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