ठण्ड का मौसम, सुबह की चमकती धुप, हलकी-हलकी चलती सर्द हवाएं, सर्पीले रास्ते, घाटियाँ, ऊँची-नीची पहाड़ियां, वक्रनुमा पानी का किनारा – इन शब्दों का प्रयोग मैं किसी हिमालयी क्षेत्र की ओर इशारा करने के लिए नहीं कर रहा, बल्कि अपने ही राज्य झारखण्ड के बारे बता रहा हूँ। सच तो यह है की दूर का
झारखण्ड न सिर्फ खनिज-खदानों से भरा पड़ा है, बल्कि यहाँ भी एक से बढ़कर एक अछूते रमणीय स्थल मौजूद हैं, जो की पर्यटन के लिहाज से अब तक अधिक विकसित नहीं हो पाएं हैं। कल्पना कीजिये की अपने ही राज्य में अगर एक ऐसी जगह हो, जहाँ दिन की दुपहरिया में भी बादल पर्वतों को छूते
आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें ! जैसा की सर्वविदित है की पुराने वर्ष की समाप्ति और नए वर्ष के आगमन के साथ ही हम सब एक नए हर्षोल्लास में डूब जाते हैं और आनंद प्राप्ति के नए -नए तरीके तलाशते हैं। इन्हीं क्षणों को यादगार बनाने का एक प्रयास होता है- पिकनिक।
आज का यह लेख तो आपको जरूर कुछ न कुछ नया आजमाने को विवश कर ही देगा। बस और ट्रेन में सफर तो लोग हर रोज करते होंगे, लेकिन इस सफर में ऐसा क्या है भला? आखिर ऐसा क्या अलग लिखने जा रहा हूँ मैं, एक नदी की धाराओं संग बहे कुछ यादगार लम्हों को
जी हाँ! ज़िन्दगी है सफर है सुहाना यहाँ कल क्या हो किसने जाना! कहाँ आपको सबसे ज्यादा मजा आता है? बस, ट्रेन या हवाई जहाज? आपने कभी दुपहिया से कोई लंबी यात्रा की? अगर की है तो फिर लगा ही होगा की ज़िन्दगी है सफ़र….अरे भई मैं भी कोई बहुत बड़ा बाइकर नहीं हूँ लेकिन
दूर दराज के बड़े बड़े जगहों की बातें तो मैंने बहुत कर ली, लेकिन अब बारी है अपने ही राज्य झारखण्ड की। यूँ तो पहाड़ो और नदियों से परिपूर्ण ये जगह किसी जन्नत से कम नहीं लेकिन पर्यटन के समुचित विकास के अभाव में ये क्षेत्र अभी देश के बाकी मुसाफिरों से अछूता ही है।